हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर
September 10, 2019
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हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर
परिचय (Introduction)
सिस्टम अनेक इकाइयों का समूह होता है, जो एक या एक से अधिक लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु बनाया गया है। इसी प्रकार कम्प्यूटर भी एक सिस्टम है, जिसका लक्ष्य विविध प्रकार के कार्य करना है तथा जिनकी ईकाइयां हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर हैं।
हार्डवेयर (Hardware)- कम्प्यूटर में प्रयुक्त होने वाले वे सभी यान्त्रिक, इलेक्ट्रॉनिक तथा वैद्युत् भाग जिन्हें हम आंखों से देख सकते हैं तथा हाथों से स्पर्श कर सकते हैं, हार्डवेयर कहलाते हैं। जैसे- मॉनीटर, की-बोर्ड, हार्ड-डिस्क, सर्किट, मेमोरी चिप आदि। कम्प्यूटर हार्डवेयर अपने कार्य और संरचना के आधार पर दो प्रकार के होते हैं-
1.1. कन्ट्रोल यूनिट- कन्ट्रोल यूनिट कम्प्यूटर को दिए गए डाटा और निर्देशों को कन्ट्रोल अथवा नियन्त्रित करने का कार्य करती है। कन्ट्रोल यूनिट कम्प्यूटर की आंतरिक क्रियाओं को संचालित करके, उन्हें नियन्त्रित करती है। इसके बाद इन क्रियाओं का एएलयू तथा मेमोरी में आदान-प्रदान होता है।
1.2. अर्थमैटिक लॉजिक यूनिट (Arithmetic logic unit)- कम्प्यूटर पर दिए गए डाटा तथा निर्देशों पर अंकगणितीय क्रियाएं तथा तार्किक क्रियाएं करने के लिए अर्थमैटिक लॉजिक यूनिट का प्रयोग किया जाता है। एएलयू कन्ट्रोल यूनिट से डाटा तथा निर्देशों को सूचना के रूप में मेमोरी में भेज देता है।
1.3. मैमोरी (Memory)- यह कम्प्यूटर का वह भाग है जिसमें सभी डाटा और निर्देशों को संगृहित किया जाता है। यदि यह भाग न हो तो कम्प्यूटर को दिया गया डाटा और निर्देश तुरंत हीनष्टï हो जाएगा। मेमोरी मुख्यत: दो प्रकार की होती है-
(a) मुख्य मेमोरी
(b) सहायक मेमोरी
(b) सहायक मेमोरी
मुख्य मेमोरी और सहायक मेमोरी के प्रकार
(a) मुख्य मेमोरी
ये मुख्यत: दो प्रकार की होती है-
(I) रेंडम एक्सेस मेमोरी (Random Access Memory)- यह मेमोरी एक चिप की तरह होती है, जो मैटेल ऑक्साइड सेमीकण्डक्टर (रूह्रस्) से बनी होती है। रैम में उपस्थित सभी सूचनाएं अस्थाई होती हैं और जैसे ही कम्प्यूटर की विद्युत सप्लाई बंद कर दी जाती है, वैसे ही समस्त सूचनाएं नष्टï हो जाती हैं। रैम का प्रयोग डाटा को स्टोर करने तथा उसमें डाटा को पढऩे के लिए किया जाता है। रैम में उपस्थित प्रत्येक लोकेशन का अपना एक पता होता है, इस पते के माध्यम से ही हम सीपीयू को यह बताते हैं कि मेमोरी की किस लोकेशन में सूचना स्टोर करनी है या किस लोकेशन से सूचना प्राप्त करनी है।
(II) रीड ऑनली मेमोरी (Read Only memory)- इस मेमोरी में उपस्थित डाटा तथा निर्देश स्थाई होते हैं, जिस कारण इन्हें केवल पढ़ा जा सकता है, परन्तु इनका डाटा और निर्देशों में परिर्वतन करना सम्भव नहीं हैं। डाटा और निर्देशों के स्थाई होने के कारण, कम्प्यूटर की विद्युत सप्लाई बन्द कर देने पर भी, रोम चिप में भरी हुई सूचनाएं संरक्षित रहती हैं। रोम चिप बनाते समय ही उसमें कुछ आवश्यक डाटा और प्रोग्राम्स डाल दिए जाते हैं जो स्थाई होते हैं। रोम का उपयोग सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे- कैलकुलेटर, वीडियो गेम, डिजिटल कैमरा इत्यादि में किया जाता है।
2. पेरीफेरल्स (Peripheral)-
इनपुट डिवाइसेस, आउटपुट डिवाइसेस तथा सेकेण्ड्री स्टोरेज डिवाइसेस को सम्मिलित रूप से पेरीफेरल्स कहा जाता है। यह तीन प्रकार के होते हैं-
2. आउटपुट युनिट
3. संग्रह युनिट
सॉफ्टवेयर (Software)
कम्प्यूटर में प्रयोग होने वाले सभी यान्त्रिक, इलेक्ट्रॉनिक तथा वैद्युत के वे भाग जिन्हें हम आंखों से देख सकते हैं परन्तु छू नहीं सकते, सॉफ्टवेयर कहलाते हैं। कम्प्यूटरों में सैकड़ों की सांख्या में प्रोग्राम होते हैं, जो अलग-अलग कार्यों के लिए लिखे या बनाए जाते हैं। इन सभी प्रोग्रामों के समूह को सम्मिलित रूप से सॉफ्टवेयर कहा जाता है।
सॉफ्टवेयर के प्रकार
सॉफ्टवेयर के प्रकार
(Types of Softwares)-
सॉफ्टवेयर अपने कार्य तथा संरचना के आधार पर चार भागों में बांटा गया है-
1. सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Softwares)
2. यूटिलिटी सॉफ्टवेयर (Utility Softwares)
3. एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Softwares)
सॉफ्टवेयर अपने कार्य तथा संरचना के आधार पर चार भागों में बांटा गया है-
1. सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Softwares)
2. यूटिलिटी सॉफ्टवेयर (Utility Softwares)
3. एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Softwares)
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